डॉ. दशरथ मसानिया, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
अ -भारतेंदु युग
अट्ठारह तर्रालिसा अधुना युग पहिचान।
छै कालों में बांटकर ,हिंदी कर उत्थान।।१
भारतेंदु हरिचंद ने, नया रचा इतिहास।
नये काल के नये कवि,लिखते हास विलास।।२
देश प्रेम अरु चेतना,किया समाज सुधार।
भक्ति प्रकृति अरु श्रृंग रस,भाषा ब्रज का सार।।३
हरिश्चंद्र कवि चौधरी,दत्त अंबिका व्यास।
जग मोहन प्रताप मिश्र,राधा नव विश्वास।।४
हो हो होरी अंबिका, भारत धरम पचास।
प्रताप रचि पुष्पावली,मन की लहर विलास।।५
जगमोहन प्रेम संपत्ति, देवयानी अरु श्याम।
नारायण लालित लहरी,जीरण जनपद आन।।६
भारतेंदु मल्लिका,सरो गीति फुलवार।
राधाचरण रचना रचि, भक्तमाल नव सार।।७
ब- द्विवेदी युग
अयोध्या शरण मैथली,माखन राम नरेश।
महावीर भी गा रहे, हिन्दी काव्य विशेष।।८
शरण मैथिली गुप्त कहीं,पंचवटी के हाल।
जयद्रथ वध काव्य खंड,राष्ट्रकवि चिरकाल।।९
साकेत भारत भारती,अरु यशोधरा त्रास।
प्रिय प्रवास अयोध्या कृति,वैदेही वनवास।।१०
रामनरेश पथिक मिलन,माखन युग आबाद।
सुमन काव्य मंजूषा,महावीर परसाद।।११
स -छायावाद
छायावादी कवि भये,जय शंकर परसाद।
पंत निराला भी रहे, महदेवी के साथ।।१२
जय लहरी कामायनी,झरना अंसु कंकाल।
पंत पल्लव ग्रंथि रचि,गुंजन वीणा वास।।१३
सूर अनामी गीतिका,परिमल तुलसीदास।
रश्मि नीहार नीरजा,महदेवी की खास।।१४
23, गवलीपुरा आगर, (मालवा) मध्यप्रदेश