डॉ. दशरथ मसानिया, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
अ अकेला रहता भाई
आम डंडा खाता है ।1
इमली बायें जाती भाई
ईख दाये आती है।2
उल्लू नीचे अलख जगाता
ऊन पूछ लगाती है।3
एड़ी देखो तिरछी जाती
ऐनक दो दिखलाती है।4
ओखल तिरछा खंड बनाती
औरत फिर दोहराती है ।5
अं राजा की बिंदी देखो
अनुस्वार कहलाता है।6
अ़ः हमें हंसाता भाई
वही विसर्ग कहाता है।7
ऋ ऋषि को भूल न जाना
जन्मों से तो नाता है।8
अ अकेला रहता भाई
आम डंडा खाता है।9
चार लघु को इक में मानो।
नौ दीरघ में दो पहिचानो।।10
अइउऋ लघु चारों को जानो।
शेष सभी को दीरघ मानो।।11
हिन्दी के स्वर तुम भी जानो।
राष्ट्रभाषा को पहिचानो।।12
दरबार कोठी 23, गवलीपुरा आगर, (मालवा) मध्यप्रदेश