प्रीति शर्मा "असीम", शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
चंद खुशियों की हसरत में
बेपनाह दर्द बाकी है।
जो बीच रास्ते छोड़ दिया तुमने
अभी वो साथ बाकी है।
जो तुम तक पहुंच न पाई
मेरी सदायें बाकी है।
मेरे खामोश लफ्जों की
हजारों बातें बाकी है।
थकी आंखों का लम्बा
अभी इंतजार बाकी है।
जो रूह को सकून दे जाता
तेरा दीदार बाकी है।
चंद खुशियों की हसरत में
बेपनाह दर्द बाकी है।
जो बीच रास्ते छोड़ दिया तुमने
अभी वो साथ बाकी है।
किस कसूर की दी है सजा
अभी इल्ज़ाम बाकी है।
मौत का दे दिया फरमान
अभी हमारी जान बाकी है।
सजदों में बांधी उस डोर की
अभी वो गांठ बाकी है।
क्यों दुआएं कबूली नही गई
वो फरियाद बाकी है।
चंद खुशियों की हसरत में
बेपनाह दर्द बाकी है।
जो बीच रास्ते छोड़ दिया तुमने
अभी वो साथ बाकी है।
हमने अजमा लिया सबको
खुदा का इम्तिहान बाकी है।
इश्क़ का यह सिला है
क्यों हमारा फरमान बाकी है।
नालागढ़, हिमाचल प्रदेश