शि.वा.ब्यूरो, देवबंद। देवबंद के बेटे कार्तिकेय ने एशियन गेम्स की एथलेटिक्स में सिल्वर मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है। कार्तिकय ने 10 किमी दौड़ में प्रतिभाग किया था। कार्तिकेय की उपलब्धि पर देवबंद में जश्न का माहौल है। कार्तिकेय ने एशियन गेम्स में पदक जीतकर जिले और देश का नाम रोशन किया है।
बता दें कि सेना में नायब सूबेदार के पद पर तैनात कार्तिकेय राणा का चयन एशियन गेम्स के लिए हुआ था। कार्तिकेय राणा ने 10 किमी दौड़ प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था। प्रतियोगिता में दूसरे नंबर पर रहकर उन्होंने सिल्वर मेडल जीतकर भारत की झोली में एक पदक डाल दिया। जैसे ही कार्तिकेय के पद जीतने की खबर देवबंद तक पहुंची तो जश्न का माहौल पैदा हो गया और कार्तिकेय के गांव शिमलाना में जश्न मनाया गया।कार्तिकेय की सफलता की कहानी संघर्षों के पथ की गवाह रही है। आर्मी में भर्ती होने के लिए गांव की पगडंडियों पर दौड़ लगाने वाले कार्तिकेय ने आठ साल में एशियन गेम्स में भारत का झंडा बुलंद कर दिया है।
वर्ष 1999 में देवबंद के गांव शिमलाना के किसान बीर सिंह के घर में कार्तिकेय का जन्म हुआ। तीन बेटों में कार्तिकेय दूसरे नंबर का है। बचपन में कार्तिकेय गांव के आम बच्चों की तरह ही खेल खेलता था। इसी बीच वर्ष 2015 में कार्तिकेय ने आर्मी में भर्ती होने का सपना देखा और गांव की सड़कों पर दौड़ लगानी शुरू कर दी। गांव में कार्तिकेय राणा सबसे अधिक तेज दौड़ लगाता था। कार्तिकेय के अंदर छुपी प्रतिभा को भी गांव के ही लोगों ने ही पहचाना और दौड़ की तैयारी की सलाह दी। इसके बाद उनके पिता बीरसिंह ने कार्तिकेय को तैयारी के लिए सहारनपुर स्पोर्ट्स स्टेडियम में दाखिल करा दिया। यहां से कार्तिकेय की खेलों के प्रति रूचि बढ़ती गई और आर्मी की भर्ती को छोड़कर उसने देश के लिए मेडल जीतने के लिए दौड़ लगानी शुरू कर दी। राज्य स्तर पर सफल होने के बाद कार्तिकेय का चयन नेशनल के लिए हुआ और वह तैयारी के लिए रोहतक पहुंचे।
नेशनल में मेडल जीतने के बाद कार्तिकेय को आर्मी में स्पोर्ट्स कोटे से नायब सूबेदार के पद पर भर्ती कर लिया गया। लेकिन, कार्तिकेय ने अपनी तैयारी जारी रखी। शनिवार को हांगझोऊ के ट्रैक पर 10 किमी दौड़ लगाकर कार्तिकेय ने सिल्वर मेडल जीतकर इतिहास रच दिया। कार्तिकेय के पिता बीर सिंह ने बताया कि उनके तीन बेटे हैं। 15 बीघा खेती की जमीन में मेहनत कर बच्चों की पढ़ाई कराई। इसके साथ ही गांव में परचून की दुकान भी है। बीर सिंह ने बताया कि उन्होंने कार्तिकेय की तैयारी में कभी कोई दिक्कत नहीं होने दी। अब कार्तिकेय का छोटा भाई अनुज भी स्पोर्ट्स की तैयारी कर रहा है वहीं कार्तिकेय की सफलता के बाद गांव में जश्न मनाया गया और एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर मुँह मीठा कराया गया।