बाल विवाह के खिलाफ मशाल लेकर अलख जगाने उतरीं पीड़ित महिलाएं
शि.वा.ब्यूरो, मुजफ्फरनगर। पूरे देश में चल रहे “बाल विवाह मुक्त भारत” अभियान के तहत मनाए गए बाल विवाह मुक्त भारत दिवस के मौके पर गैर सरकारी संगठन ग्रामीण समाज विकास केंद्र उत्तर प्रदेश के के तत्वाधान में जनपद में 50 जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया। इन कार्यक्रमों में 3027 महिलाओं, बच्चों और आम लोगों ने शपथ ली कि वे न तो बाल विवाह का समर्थन करेंगे और न इसे बर्दाश्त करेंगे। बड़े पैमाने पर हुए इन कार्यक्रमों में गणमान्य लोगों ने हिस्सा लिया और इसे सफल बनाने में योगदान दिया। इसी क्रम में आज सनातन धर्म इंटर कॉलेज गांधी कॉलोनी में जागरुकता कार्यक्रम किया गया और एक जागरुकता रैली भी निकाली गई। जागरुकता रैली को बीना शर्मा ने हरी झंडी दिखाकर किया। इस दौरान करीब 1700 लोगों ने बाल विवाह मुक्त भारत बनाने की शपथ ली।
बता दें कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण  5 (एनएचएफएस-2019-21 ) के आंकड़ों के अनुसार पूरे देश में 20 से 24 आयुवर्ग के बीच की 23.3 प्रतिशत युवतियों का विवाह 18 वर्ष की होने से पहले ही हो गया था। बाल विवाह मुक्त भारत अभियान देश के 300 से भी ज्यादा जिलों में चलाया जा रहा है। भारत से 2030 तक बाल विवाह के समग्र खात्मे के लक्ष्य के साथ पूरी तरह से महिलाओं के नेतृत्व में चल रहे इस अभियान से देश के 160 गैर सरकारी संगठन जुड़े हुए हैं। सोलह अक्टूबर को इस अभियान के एक साल पूरे हुए। इस अर्से में पूरे देश में हजारों बाल विवाह रुकवाए गए और लाखों लोगों ने अपने गांवों और बस्तियों में बाल विवाह का चलन खत्म करने की शपथ ली। 
गांवों में पूरे दिन इस अभियान के समर्थन में उतरे लोगों की चहल पहल रही और इस दौरान 50 गांव में तमाम कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। जिसमें करीब 3027 लोगों ने भाग लिया। सूरज ढलने के बाद हजारों लोगों ने हाथों में मशाल लेकर मार्च भी किया‌ और लोगों को जागरूक करते हुए संदेश दिया कि नए भारत में बाल विवाह की कोई जगह नहीं है। इस मार्च में स्कूली बच्चों, ग्रामीणों, धार्मिक नेताओं सहित समाज के सभी वर्गों और समुदायों के लोगों ने हिस्सा लिया। इस मार्च का मकसद गांवों और कस्बों में लोगों को बाल विवाह के खिलाफ जागरूक करना‌ था। इस दौरान विवाह समारोहों में अपनी सेवाएं देने वालों जैसे कि शादियों में खाना बनाने वाले हलवाइयों, टेंट-कुर्सी लगाने वालों, फूल माला बेचने‌ व‌ सजावट करने‌ वालों, पंडित और मौलवी जैसे पुरोहित वर्ग को जागरूक करने पर विशेष ध्यान दिया गया।
ग्रामीण समाज विकास के निदेशक मेहर चंद ने कहा कि बाल विवाह वो अपराध है, जिसने सदियों से हमारे समाज को जकड़ रखा है। उन्होंने कहा कि नागरिक समाज और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा राज्य को बाल विवाह मुक्त बनाने के प्रति दिखाई गई प्रतिबद्धता और प्रयास जल्द ही एक ऐसे माहौल और तंत्र का मार्ग प्रशस्त करेंगे जहां बच्चों के लिए ज्यादा सुरक्षित और निरापद वातावरण होगा। इन दोनों द्वारा साथ मिल कर उठाए गए कदमों और लागू किए गए कानूनों के साथ समाज व समुदाय की भागीदारी 2030 तक बाल विवाह मुक्त भारत सुनिश्चित करेंगी।
बाल विवाह की पीड़ा से गुजरने के बाद अब इसके खात्मे के लिए अलख जगा रहीं सुषमा ने कहा कि ग्रामीण समाज विकास केंद्र सन् 1989 से लगातार समाज में लोगों को जागरुक कर रही है और आगे भी यह प्रयास जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि बाल विवाह को रोकना संस्था का उद्देश्य है और हर बच्चे की शादी सही उम्र में हो इसके लिए संस्था द्वारा युद्ध स्तर पर प्रयास किए जा रहे है। उन्होंने कहा कि समाज के हर तबके को जाकर जागरुक करेंगे। उन्होंने कहा कि जो बच्चे पढ़ाई से वंचित है, उन बच्चों के हाथ में औजार नहीं कलम दिलाना संस्था का उद्देश्य है।


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