......तो बिजनौर लोकसभा सीट पर हो सकती है भाजपा के विरोधी गठबन्धन की नींद हराम

हवलेश कुमार पटेल, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और उसकी 8 सहयोगी संस्थाओं पर केंद्र सरकार द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने के बाद सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) पर इन प्रतिबंधों का कोई असर नहीं पड़ने से उत्साहित एसडीपीआई लोकसभा चुनावों के जरिये यूपी खासकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश की कुछ सीटों पर अपनी उपस्थिति दर्ज करा सकती है।

बता दें कि सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष मौहम्मद कामिल मुजफ्फरनगर की जानसठ तहसील के गांव तेवडा के मूल निवासी हैं। उक्त गांव बिजनौर लोकसभा के तहत आने वाले मीरांपुर विधानसभा क्षेत्र के अन्तर्गत आता है। सूत्रों की मानें तो सीडीपीआई के प्रदेश अध्यक्ष मौहम्मद कामिल मुस्लिम पिछडी जाति झोझा बिरादरी से ताल्लुक रखते हैं। आंकड़ों पर गौर करें तो बिजनौर लोकसभा सीट पर कुल वोट 17 में से केवल मुस्लिम वोटरों की संख्या लगभग 17 लाख से भी अधिक है, जिनमें से झोझा बिरादरी प्रमुख है। 

मीरांपुर विधानसभा सीट पर केवल झोझा बिरादरी की ही 50 हजार से भी अधिक वोट हैैं। इसके साथ बिजनौर लोकसभा सीट के तहत आने वाली पुरकाजी विधानसभा सीट पर भी लगभग 40 हजार झोझा बिरादरी की वोट  हैं। इसी तरह बिजनौर लोकसभा की बिजनौर की सदर  सीट पर झोझा (तुर्क) 25 हजार, चान्दपुर विधानसभा सीट पर  30 हजार के लगभग है, लेकिन अभी तक इस बिरादरी के किसी नेता को बिजनौर लोकसभा सीट का नेतृत्व करने का अवसर प्राप्त नहीं हुआ है, इस बात का पूरा अहसास झोझा बिरादरी के लोगों को है। 

ऐसे में अगर मौहम्मद कामिल ने बिजनौर लोकसभा सीट पर सीडीपीआई के टिकट पर चुनाव लड़ने का दावा ठोक दिया और उनकी पार्टी की सहमति बन गयी तो मौहम्मद कामिल भाजपा केे प्र्रतिद्वंदी विपक्षी पार्टी के समीकरण बिगाड़ सकते हैं और अगर मौहम्मद कामिल मुस्लिमों-दलितों का विश्वास प्राप्त करने में सफल हो गये तो उनके दिल्ली दूर नहीं रहेगी।

एसडीपीआई के प्र्रदेश अध्यक्ष मौहम्मद कामिल की बात करें तो वे रालोद के पूर्व प्रमुख व जाट नेता चौधरी अजीत सिंह के अच्छे सम्पर्क में रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने दलितों रहनुमा कहे जाने वाले उदितराज के साथ भी काम कर चुके हैं। इस परिदृश्य से चुनावी समीकरण का आंकलन करें तो यदि कामिल अपने समाज (झोझा) के साथ मुस्लिम वोटरों सहित दलित वोटों को लुभा सके तोे परिणाम अप्रत्याशित हो सकते हैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैं।

एसडीपीआई ने पिछड़ोें कोे लुभाने के लिए अपने प्रयास तेज कर दिये हैं। अपने फेसबुक एकाऊंट के जरिये एसडीपीआई ने पिछड़ों के उत्थान के लिए जातीय जनगणना के समर्थन में 25 नवम्बर को दिल्ली के जंतर-मंतर पर आयोजित मांग प्रदर्शन में आमजन से शामिल होने की अपील की है। इसके साथ ही अपनी  कट्टर छवि से निजात पाने का प्र्रयास करते हुए एसडीपीआई ने यह भी दावा किया था कि वह एक स्वतंत्र संस्था है और पीएफआई से उसका कोई लेना-देना नहीं है। हालांकि एसडीपीआई ने पीएफआई पर लगाये गये प्रतिबंधों को लोकतंत्र और मानवाधिकारों पर हमला करार दिया गया था। एसडीपीआई का कहना है कि भाजपा भारतीय संविधान के मौलिक सिद्धांतों के खिलाफ कार्य कर रही है।

एसडीपीआई के प्र्रदेश अध्यक्ष मौहम्मद कामिल अगर बिजनौर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ते हैं तो सबसे अधिक नुकसान भाजपा के विपक्षी गठबंधन को हो सकता है, क्योंकि मौहम्मद कामिल को मिलने हर वोट भाजपा को फायदा और उसके विपक्षी गठबंधन को नुकसान पहुंचायेगी। चुनावी पंड़ितों का मानना है कि मुस्लिम वोटों का बंटवारा हमेशा भाजपा को राहत दिलाने वाला होता है।

मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश


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