मदन सुमित्रा सिंघल, शिलचर। श्री कृष्ण रुक्मिणि कलाक्षेत्र के अध्यक्ष बिधान सिंह, बराक घाटी तेली साहू समाज के अध्यक्ष मनोज कुमार साह एवम हिंदीभाषी-चायजनसमुदाय मंच के सचिव विप्लव राय एक मेमोरेंडम उप जिलाधीक्षक श्रीमनसुर आहमेद मजुमदार के द्वारा असम के राज्यपाल, मुख्यमंत्री एवंम असम विधान सभा का अध्यक्ष को भेजे ताकि अतिशिघ्र तीनो भाषा विष्णुप्रिया मणिपुरी, हिंदी एवं डिमाशा को कछार , करिमगंज एवम हैलकांदी में सहायक ऑफिसियल भाषा की मान्यता मिले ।
बता दें कि श्री कृष्ण रुक्मणि कलाक्षेत्र के 03 मार्च का टक-शो के आधार पर भारत की महामहिम राष्ट्रपति ने असम के बराक घाटी में विष्णुप्रिया मणिपुरी, डिमाशा और हिन्दी को एशोसियेट आफिसियल भाषा के रुप में मान्यता देने के लिए असम सरकार को सुपारिश किया । हाल ही में 03 मार्च श्रीकृष्ण रुक्मिणी कलाक्षेत्र के व्यवस्थापना में 21 फरवरी से 16 मार्च तक आयोजित प्रथम भारतीय सांस्कृतिक उतसव @महामेल के 12 दिवस पर आयोजित एक टक-शो में अध्यक्ष बिधान सिंह ने चर्चा में सरकार से आग्रह किया कि कछार, हैलाकांदी एवम करीमगंज जिला में विष्णुप्रिया मणिपुरी, डिमाशा एवम हिंदी को एशोसियेट ऑफिसियल भाषा की मान्यता मिलना चाहिए । तभी सभी लोगो का संस्कृति एवं भाषा का विकाश हो पायेगा ।
उक्त टक शो में पण्डित हरिकान्त सिंह गीतादूतम और पण्डित नीलमाधव सिंह गीतादुतम सामिल थे। इसके बारे में अखिल असम भोजपुरी परिषद, अखिल भारतीय तैलिक साहु महासभा , बराकघाटी तेली साहू समाज, हिंदीभाषी - चाय जनसमुदाय मंच,सर्व हिन्दुस्तानी परिषद , विष्णुप्रिया मणिपुरी और डिमाशा स॔गठनादि को जानकारी दि गयी। इस विषय मे महामहिम राष्ट्रपति सचिवालय से असम सरकार को निर्देश पारित हुआ है कि इस विषय पर राज्य सरकार जल्द संज्ञान ले। आज का प्रतिनिधि मंडल में सर्ब भारतीय हिन्दुस्तानि परिषद, हिन्दी भाषी चाय जनसमुदाय मंच, बराक घाटी तेली साहु समास, विष्णुप्रिया मणिपुरी एवम डिमाछा समुदाय का कार्यकर्ता सामिल थे। इस विषय पर बराक घाटी तेली साहू समाज का सभापति मनोज कुमार शाह प्रतिक्रिया जताते हुए कहा कि राष्ट्रपति भवन का निर्देश को असम सरकार शीघ्रातिशीघ्र उपयुक्त करवाई करे।
सन 2021 के दिसेम्वर महिने के 14 तारिख को असम विधान सभा का अध्यक्ष के आग्रह पर श्रीकृष्ण रुक्मिणी कलाक्षेत्र के अध्यक्ष विधान सिंह ने विधान सभा कक्ष में आयोजित "स्पीकर इनिसिएटिव" के तहत जातीय शिक्षानीति के उपर भाषण में सरकार से स्कुलों में मातृभाषा का माध्यम लाघु करने का आग्रह किया था।
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