धान की सीधी बुआई में रूचि दिखा रहे बासमती के उत्पादक किसान

गौरव सिंघल, सहारनपुर। सुगंधित और उत्तम श्रेणी के बासमती चावल के लिए मशहूर सहारनपुर में किसान अब धान की सीधी बुआई करने में रूचि दिखा रहे है। उप निदेशक कृषि डा. राकेश कुमार ने बताया कि इस नई पद्धति से किसानों को पानी और श्रम की बचत होती है। फसल तैयार होने में तो परंपरागत खेती जितना ही समय लगता है। नई विधि मेें समस्या खरपतवार नियंत्रण की है।

प्रगतिशील 25-30 किसानों ने 35 से 40 हेक्टेयर भूमि में धान की सीधी बुआई की विधि को अपनाया है। पिछले वर्ष 50 बीघा मेें इसका परीक्षण किया गया था। नतीजे उत्साहजनक रहने से अबकी किसानों की संख्या बढी है। खरपतवार को रोकने के लिए डा. राकेश कुमार ने किसानों को सुझाव दिया है कि बुआई के तुरंत बाद एक लीटर प्रति एकड की दर से पेंडामेथेलीन 200 लीटर पानी में छिडकाव करे और 25 से 28 दिन बाद नोमिनी बोर्ड रसायन का छिडकाव करे। बासमती की उन्नत प्रजाति पीवी 1692, पीवी 1509 और पीवी 1847 की बुआई किसान कर रहे है। फसल चार माह के भीतर तैयार हो जाती है। किसान 30 किलो धान का बीज एक हेक्टेयर भूमि में सीडड्रिल के जरिए उगाई करते है। बुआई के लिए सबसे अच्छा समय 20 मई से 25 जून तक का है। ड्रिल से दो से तीन सेंटीमीटर गहराई तक बिजाई करे और तुरंत बाद सिंचाई करे। चार-पांच दिन बाद फिर सींचे। नई विधि किसानों के लिए बहुत लाभप्रद है। इससे कम लागत में अच्छी फसल और ज्यादा लाभ होता है। पंजाब, हरियाणा के किसानों के साथ-साथ शामली में भी किसान धान की सीधी बुआई की विधि अपना रहे है।

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