मीरापुर विधानसभा के उपचुनाव को मंच तैयार, मुख्य दल प्रत्याशी चयन में जुटे

गौरव सिंघल, सहारनपुर। बिजनौर लोकसभा सीट से चुने गए रालोद सांसद चंदन चौहान के मीरापुर विधानसभा सीट से त्यागपत्र देने के बाद इस सीट के लिए उपचुनाव का मंच तैयार हो गया है। प्रमुख दल सपा और भाजपा प्रत्याशी के चयन में जुट गए हैं। मीरापुर सीट से 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा समर्थित रालोद उम्मीदवार चंदन चौहान ने अपने ही गुर्जर बिरादरी के भाजपा उम्मीदवार प्रशांत गुर्जर को भारी मतों के अंतर से पराजित किया था। चंदन चौहान को 107421 मत मिले थे। भाजपा के प्रशांत गुर्जर को 80041 वोट मिले थे। बसपा के मोहम्मद सलीम 23797 पर ही सिमट गए थे। इस लोकसभा चुनाव में चंदन चौहान जयंत चौधरी की पहली पसंद बने और वह भाजपा के समर्थन से बिजनौर से लोकसभा चुनाव जीतने में सफल हुए। मीरापुर विधानसभा क्षेत्र में चंदन चौहान ने विपरीत हालात में भी 72320 वोट प्राप्त किए। सपा के दीपक सैनी 63351 वोट लिए और बसपा के जाट उम्मीदवार चौधरी बिजेंद्र सिंह ने 55516 वोट लिए। दोनों चुनावों के नतीजे में बड़ा अंतर यह दिखाई दिया कि चंदन चौहान ने सपा-रालोद टिकट पर 2022 में जहां 

107424 वोट लिए थे वहीं अब वह जीत भले गए हों लेकिन उनके मत गिरकर 72320 रह गए।

माना जा रहा है कि यदि रालोद का उम्मीदवार चंदन चौहान के बजाए कोई और होता तो उसकी पराजय तय थी। इसकी मुख्य वजह यह है कि वर्तमान की मीरापुर और पूर्व की मोरना सीट चंदन चौहान के परिवार की पैतृक सीट मानी जाती है।1974 में चंदन चौहान के बाबा बाबू नारायण सिंह गुर्जर विधायक चुने गए थे और मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा सरकार में मंत्री भी बने थे। आपातकाल के दौरान इंदिरा जी ने जब हेमवती नंदन बहुगुणा को मुख्यमंत्री पद से हटा दिया तो विरोध में चौधरी नारायण सिंह ने इंदिरा जी के जबरदस्त आग्रह के बावजूद मंत्री पद की पेशकश ठुकरा दी थी। 1977 में मोरना सीट से चौधरी नारायण सिंह जनता पार्टी के टिकट पर विधायक चुने गए और 1979 से 1980 तक मुख्यमंत्री बाबू बनारसी दास गुप्ता सरकार में उपमुख्यमंत्री बनाए गए। वह उत्तर प्रदेश के पहले उपमुख्यमंत्री थे। चंदन चौहान के पिता दिवंगत संजय चौहान 1996 में सपा के टिकट पर मोरना सीट से विधायक चुने गए। संजय चौहान 2009 में बिजनौर लोकसभा सीट से रालोद-भाजपा गठबंधन से सांसद चुने गए। मीरापुर विधानसभा सीट बिजनौर लोकसभा क्षेत्र में आती है।2022 में चंदन चौहान लोकदल-सपा गठबंधन से भारी मतों से विधायक चुने गए थे और अभी 4 जून को वह बिजनौर से अपने पिता की तरह रालोद-भाजपा गठबंधन से  सांसद चुने गए। राजनीतिक समीक्षकों का कहना है कि मोरना या मीरापुर सीट चंदन चौहान के परिवार के लिए उतना ही सुरक्षित गढ़ है जितना जयंत चौधरी परिवार के लिए छपरौली। सपा प्रमुख मीरापुर सीट को किसी भी सूरत में जीतना चाहेंगे। लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव के पक्ष में जबरदस्त लहर थी। इसी के फलस्वरूप उत्तर प्रदेश में सपा 37 और उसके गठबंधन में शामिल कांग्रेस 6 सीटें जीतने में कामयाब रही। जबकि भाजपा की पिछली 62 सीटें गिरकर 33 रह गई। उत्तर प्रदेश में सांसद चुने जाने के कारण विधानसभा की दस सीटें रिक्त हुई हैं। जिसमें सबसे ज्यादा 5 सपा की, 3 भाजपा की और एक लोकदल की शामिल हैं।जयंत चौधरी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मीरापुर सीट को लेकर बहुत गंभीर हैं। वहीं अखिलेश यादव उपचुनाव वाली सभी सीटें जीतकर 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए अपना दावा मजबूत करना चाहेंगे। राजनीतिक समीक्षकों का मत है कि यदि भाजपा-रालोद गठबंधन विधानसभा का टिकट चंदन चौहान के परिवार को देता है तो जीत की संभावना बेहद प्रबल होगी वरना यह गठबंधन इंडिया गठबंधन के सामने पराजित भी हो सकता है। दोनों खेमों में उम्मीदवार बनने को लेकर लंबी लाइनें लगी हैं। चयन का आधार जिताने की क्षमता ही बनेगा। कोई भी खेमा हलका उम्मीदवार नहीं उतारना चाहेगा।

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