डाॅ. सुशील गुप्ता का कहना है कि सीबीएसई द्वारा किये निरीक्षण का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि स्कूल बोर्ड की संबद्धता और परीक्षा उप-नियमों के अनुसार छात्रों की नियमित उपस्थिति के मानदंडों के अनुपालन में संचालित हो रहे हैं अथवा नहीं। उन्होंने बताया कि सीबीएसई ने इस बात पर जोर दिया कि डमी या गैर-हाजिर स्कूल शैक्षणिक अखंडता को कमजोर करते हैं और स्कूलों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया, जिसमें जवाब देने के लिए 30 दिन का समय दिया गया। उन्होंने बताया कि निरीक्षण निष्कर्षों और वीडियोग्राफी साक्ष्यों के आधार पर ’कक्षा 9 से 12 तक के विद्यार्थियों की बड़ी संख्या में अनुपस्थिति के कारण 21 विद्यालयों की संबद्धता रद्द कर दी गई तथा 6 स्कूलों को सीनियर सेकेंडरी से सेकेंडरी स्तर पर डाउनग्रेड’ कर दिया गया।
अप्सा के अध्यक्ष डाॅ. सुशील गुप्ता ने कहा है कि डमी यानी गैर उपस्थित प्रवेश की प्रथा स्कूली शिक्षा के मूल मिशन के विपरीत है, जिससे छात्रों के आधारभूत विकास से समझौता होता है। उन्होंने कहा है कि बोर्ड यह सुनिश्चित करने का निरंतर प्रयास कर रहा है कि स्कूल वैध और नैतिक शैक्षिक प्रथाओं का पालन करें।