डॉ. मंगलेश जायसवाल, पीपल (मध्यप्रदेश)। दुनिया में ऐसे विरले ही व्यक्तित्व मिलेंगे, जो स्वयं की मेहनत, साधना, नवाचार और बौद्धिक बल से शून्य से शिखर पर पहुंचते हैं। एक ऐसे ही शिक्षक जो उपशिक्षक से सहायक शिक्षक, शिक्षक, व्याख्याता, प्राचार्य और प्राचार्य से पदोन्नत होकर खंड शिक्षा अधिकारी तक की यात्रा पूर्ण कर ईमानदार सामान्य शिक्षकों के लिए प्रेरणास्रोत बने है। इस यात्रा में मध्य प्रदेश आगर मालवा के बड़ोद विकास खंड में कार्यरत नवाचारी प्राचार्य साहित्यकार डॉ दशरथ कुमार गवली श्मसानियाश् अनुकरणीय उदाहरण हैं।
दशरथ मसानिया का जन्म 5 जून 1964 को एक ग्वाला समाज के निर्धन परिवार में हुआ था। उन्होंने नियमित छात्र के रूप में कक्षा 5 से 11वीं तक अध्ययन किया, इसके बाद कॉलेज की सभी 10 डिग्रियां स्वाध्याय रहकर पूरी की। दशरथ मसानिया 2005 में हिंदी में (मालवी और ब्रज लोकगीतों में कृष्ण कथा शीर्षक से)विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन से पीएचडी की उपाधि हासिल की। डाॅ.दशरथ मसानिया विगत 41 वर्षो से मध्यप्रदेश शिक्षा विभाग में कार्यरत हैं। उन्होंने सन 2005 में पहली बार मालवी की 1000 कहावतों को संकलित कर मालवी केवातां पुस्तक प्रकाशित कर एक नया शोध किया। सन 2006 में मेक इंग्लिश इजियर नवाचार पुस्तिका में 170 समूह में समान ध्वनि पर आधारित बाल शब्दकोश (अंग्रेजी) के पांच संस्करण प्रकाशित, 2009 में भाषा सूत्र पुस्तिका में एक चैथाई कागज में संस्कृत व्याकरण सार भी चर्चित नवाचार रहा है । 2012 में बेटी चिरैया काव्य संग्रह, 253 दोहे दो बार पुरस्कृत , 2013 में थाने बेटी मारी पेट में 225 दोहे एवं 9 गीत है। इसी प्रकार 2018 में गणित में भी सूत्र, अवधारणा, गणितज्ञ, पहाड़े, फंडे आदि पर आधारित 70 दोहे में (गणित ज्ञान को गाइए) पुस्तिका में लिखे हैं।
डाॅ. दशरथ मसानिया ने हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार हेतु हिन्दी में 20 पुस्तकों का लेखन किया। उन्होंने हिंदी के 5 अध्याय, जिसमें 220 दोहा और चैपाई में लिखकर नया रिकॉर्ड बनाया है। उनके द्वारा लिखित 125 से अधिक चालीसा विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं, इसलिए इन्हें चालीसा सम्राट के नाम से भी जाना जाता है। इनके नवाचारों को देश के विभिन्न राज्यों में सम्मानित किया जा चुका है। डाॅ. दशरथ मसानिया को मध्यप्रदेश शासन ने भी 2007 को आचार्य सम्मान तथा 2019 को राज्यपाल सम्मान देकर सम्मानित किया था। डाॅ. दशरथ मसानिया का नाम महाराष्ट्र बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी दर्ज है। उन्हें राष्ट्रीय विक्रम प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया है। डाॅ. दशरथ मसानिया वर्तमान में खंड शिक्षा अधिकारी तथा प्राचार्य के रूप में कार्यरत हैं।