हवलेश कुमार पटेल, मुजफ्फरनगर। विगत चुनाव भाजपा गठबन्धन के साथ लड़ने के बाद से ही भाजपा-रालोद में अक्सर दरार आने की खबरे मीडिया में छन-छन कर आती रही हैं, लेकिन इससे इतर सच्चाई कुछ और भी है। खींचतान भाजपा-रालोद में है या नहीं ये तो स्पष्ट रूप से नहीं कहा जा सकता, लेकिन ताजा मामले में रालोद नेताओं की खींचतान उजागर होती दिखायी दे रही है। सबसे अचम्भे की बात है कि इससे रालोद सुप्रीमों जयंत चैधरी बिलकुल अंजान बने हुए हैं। इन सबके चलते रालोद के मजबूत सिपाही विधायक राजपाल बालियान भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में फेल होते नजर आ रहे हैं।
बता दें कि कुछ दिन पहले भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के संस्थापक महेन्द्र सिंह टिकैत के सारथी रहे जनपद में ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के सज्जन विधायकों में शामिल रालोद के विधायक राजपाल बालियान ने बुढ़ाना की तत्कालीन एसडीएम व तहसील के एक लेखपाल पर गम्भीर आरोप लगाते हुए तत्कालीन जिलाधिकारी को पत्र लिखा था, जिसका परिणाम ये हुआ कि उक्त आरोपी एसडीएम को इनाम के तौर पर और भी अच्छी तहसील में एसडीएम का पद नवाज दिया गया और गम्भीर आरोपों में घिरे लेखपाल को निलम्बित करके उसे जांच प्रभावित करने सहित अपने साथ आरोपित एसडीएम के साथ निकटतम सम्पर्क बनाये रखने के लिए स्वतंत्र कर दिया। सूत्रों की मानें तो उक्त आरोपी एसडीएम अपने चहेते आरोपी लेखपाल के सहारे उनके सजातिय जनप्रतिनिधियों का वरदहस्त सरलता पूर्वक प्राप्त भी कर लिया है।
बता दें कि आरोपी लेखपाल के सजातिय जनप्रतिनिधि रालोद और भाजपा के उच्च पदाधिकारी तो हैं ही, साथ ही प्रभावशाली संवैधानिक पदों पर भी तैनात हैं। उक्त पदाधिकारियों ने अपने दल के विधायक के द्वारा आरोपित अधिकारियों व कर्मचारियों को अभयदान देते समय इस बात का भी ध्यान नहीं रखा कि इससे उनके दल की आमजन क्या छवि बनेगी। रालोद विधायक की ये स्थिति जब है, जब रालोद कोटे से जनपद का एक विधायक प्रदेश सरकार में केबिनेट मंत्री है। कथित रूप से प्रदेश सरकार में इतनी मजबूत स्थिति के होते हुए एक एसडीएम और लेखपाल पर गम्भीर आरोपों के बावजूद कोई कार्यवाही न करा पाना आमजन में क्या संदेश पहुंचायेगा, इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है कि जब विधायक रालोद विधायक इतने अक्षम हैं तो वे आमजन की मदद कैसे कर पायेंगे। कहीं ये फैक्टर मीरांपुर में उपचुनाव को प्रभावित न कर दे।