शि.वा.ब्यूरो, मालवा। वीणा पर देशी भजनो की परंपरागत मधुरता को पूरे लय-ताल में प्रस्तुत करने वाली गायिकाएं,जो बाड़मेर ज़िले के सुदूर छोटे से गाँव में बहुत ही साधारण परिवार में जन्मी। इन बहनों के पिताजी श्री शेरा राम लीलड़ जो संविदा पर अध्यापक का काम करते हुए अपने परिवार का भरण पोषण करते है। साथ ही खेती किसानी का काम भी करते है। दोनों बहने शिक्षा के लिए रोज अपने पिताजी के साथ विद्यालय जाती है ।घर का सारा काम भी देखती है।घर की गायों और बकरियों की भी देखभाल करती है। खेत में अपने पिताजी के काम में भी हाथ बंटाती है। केलम ने कक्षा 10 में घर परिवार के सब कार्य करते हुए गाँव की सरकारी स्कूल में पढ़ते हुए 85 प्रतिशत अंक हासिल कहते हैं नसीब में जो लिखा होता है वह भाग कर आता है। एक दिन इनके पिताजी शाम के वक्त सोशल मीडिया देख रहे थे तो ग्रामीण विकास एवं चेतना संस्थान बाड़मेर (रूमा देवी फाउंडेशन) की एक लिंक सामने आ गई जिसमें गरीब परिवार की होनहार बेटियों को जिनके शिक्षा के क्षेत्र में अच्छे अंक है और आगे पढ़ना चाहती है मगर आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण आगे नहीं पढ़ पाती है तो ऐसी बालिकाओं को फाउंडेशन छात्रवृत्ति प्रदान करता है। यह पढ़कर पिताजी ने वह फॉर्म भर दिया और इनका चयन भी हो गया। शुरू में केलम और दरिया विद्यालय में सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भजन बिना वाद्य यंत्रों के गाती थी। केलम-दरिया को वीणा बजाना बहुत अच्छा लगता था | वे धीरे -धीरे अपनी लगन से सीख गईं ।अपना पहला भजन "उभी जोवों गुरुजी री बाट" जो कि एक मीरा बाई की बहुत अच्छी भक्ति रस की रचना है यह भजन रूमा देवी फाउंडेशन में गाया।और वह भजन 5 दिनों में मिलियन में सुनने वालों तक पहुंच गया। यहीं से शुरू होती है एक सफलता की कहानी।
केलम -दरिया ने अपना एक यूट्यूब चैनल और फेसबुक पेज बनाया और उस पर भजन अपलोड करने शुरू किए। अपने पिताजी के मार्गदर्शन में काफी भजन जिनमें अधिकांश गुरु महिमा और मीरा बाई की रचनाएं है सीख लिए, जो सगुण वाणी थी।अब धीरे धीरे निर्गुण वाणी जो संत कबीरदास,रविदास,गोरखनाथ, नानक देव और बन्नानाथ आदि की वाणियों को सीखना प्रारंभ किया। राजस्थान सरकार द्वारा युवा महोत्सव वर्ष में एक बार करवाया जाता है | उसमें केलम -दरिया ने भाग लिया।जिला स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त किया और फिर राज्य स्तर पर चयन हुआ।राज्य स्तर पर गाने के बाद जयपुर विरासत में गाने का अवसर मिला | जिससे केलम दरिया का भजन गायन के स्तर को थोड़ी और अधिक पहचान मिली। माननीय तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत द्वारा अपनी सरकार की योजनाओं के प्रचार प्रसार हेतु एक कांटेस्ट प्रतियोगिता कराई गई | जिसमें 2 मिनिट में 10 योजनाओं को गाकर भेजना था वो केलम दरिया के बड़े भाई नरेश लीलावत ने 2 मिनिट का वीडियो बनाकर सरकार को भेजा और पूरे राजस्थान में प्रथम स्थान प्राप्त करने पर सरकार द्वारा एक लाख रुपए की राशि सम्मान स्वरूप केलम -दरिया को भेंट की गई।
भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर गाने के लिए बीकानेर बुलाया गया। और वहां कोलायत और बीकानेर में सांस्कृतिक मंत्री श्री अर्जुन रामजी मेघवाल जो सांस्कृतिक मंत्री थे | उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर गाने के लिए बुलाया। वहां माननीय संस्कृतिक मंत्री द्वारा सम्मानित किया।उसके बाद कई जिलों से सत्संग के कार्यक्रमों में बुलाया गया। जैसलमेर बाड़मेर जोधपुर जयपुर बीकानेर जालोर नागौर आदि कई कार्यक्रमों में बुलाया गया। आल राजस्थान मेघवाल समाज भजन प्रतियोगिता डाली बाई मंदिर जोधपुर में द्वितीय स्थान प्राप्त किया | बीकानेर के पन्नालाल जी मेघवाल सेवानिवृत डिप्टी कमिश्नर वाणिज्यिक कर विभाग ने बीकानेर बुलाकर 9 तार की दो वीणा जिनकी लागत मूल्य रू 30000 है, भेंट करने के क्रम में राशि प्रदान की। अब तो केलम -दरिया सोशल मीडिया पर काफ़ी वायरल हो चुकीं थीं।केलम- दरिया की गिनती मशहूर भजन गायक कलाकारों में होने लगी। रूमादेवी फाउंडेशन के प्रयासों से जिला स्तर पर बाड़मेर जिलाधीश महोदय द्वारा सम्मानित किया गया। आफरी (शुष्क वन अनुसंधान केंद्र जोधपुर) के डायरेक्टर श्री मानारामजी बालोच द्वारा ऑफिशियली आदेश भेजकर निमंत्रण भेजा गया कि ऑल राजस्थान किसान मेला आयोजित किया जाएगा जिसमें केलम -दरिया ने भजनों की प्रस्तुति दी।श्री माना रामजी बालोच द्वारा एक वीणा, ढोलक, और हारमोनियम, भेंट करके सम्मानित किया गया। सांचौर में एक शाम बाबा रामदेव जी और बाबा साहेब डॉ भीम राव अम्बेडकर के नाम आयोजित कार्यक्रम में केलम दरिया को स्वर कोकिला के नाम से बुलाया गया और सम्मान दिया।विश्व में मात्र एक ऐसा मंदिर जो ओम आकार में बना है जाडन पाली में स्थित है | उस ओम आश्रम द्वारा निमंत्रण प्राप्त हुआ उस अति प्रतिष्ठित कार्यक्रम में भजनों की प्रस्तुति दी गई। राजस्थान के मुख्यमंत्री और गणमान्य लोग उपस्थित थे।60 देशों में ब्रॉडकास्टिंग की गई। महाराजा गजसिंह द्वारा आयोजित कार्यक्रम नागौर फोर्ट और मेहरानगढ़ फोर्ट में केलम दरिया को 160 देशों के पर्यटकों के समक्ष भजन प्रस्तुति देने का सुअवसर मिला। बाड़मेर स्थित सुप्रसिद्ध मठ जैसे चंचल प्रयाग मठ, जसनाथ धाम लीलसर, जसनाथ धाम पांचला सिद्धा , नागौर,जगरामपुरी जी का आश्रम ,पन्नोनियों का तला,नीलकंठ महादेव मंदिर बोली , गरीबनाथ मठ नागरदा, दादा बीरबल मंदिर, आदि कई जगहों पर भजनों की प्रस्तुति देने का अवसर मिला।
संत १००८ श्री शंभूनाथ जी , जगरामपुरी जी ,प्रताप पूरीजी महाराज गणेशनाथजी ,सूरज पुरीजी महाराज,प्रेमगिरी जी निम्बला, मोटनाथ जी आदि संतों का बालिकाओं को आशीर्वाद प्राप्त हुआ।
रूमा देवी फाउंडेशन द्वारा मुंबई में आयोजित एक कार्यक्रम में भी भजन गाने का अवसर मिला।अब गुजरात मध्य प्रदेश उत्तर प्रदेश आदि राज्यों से भी निमंत्रण मिलने लगे है।बाड़मेर की धोरा-धरती से एक साधारण परिवार की दो बालिकाएं आज विश्व पटल पर अपना परचम लहरा रही है। मन में यदि कुछ ठान लेने का जज्बा हो तो कुछ भी असंभव नहीं है। आगे सफर अभी जारी है जल्द ही विदेशों में भी केलम दरिया कबीरदास और रविदास जी तथा गोरखनाथ जी सरीख़े महान संतों की वाणियों को पहुंचाएगी। इन दोनों ग्रामीण बेटियों ने देशभर की बालिकाओं को आगे बढ़ने की दी है