मदन सुमित्रा सिंघल, शिलचर। शिलकुड़ी गांव के युवा समाजसेवी और असम विश्वविद्यालय के अस्थाई कर्मचारी जय कुमार कानू की आत्महत्या से पूरे गांव में शोक की लहर है। 15 जनवरी की रात को यह हृदय विदारक घटना सामने आई, जिसने सभी को स्तब्ध कर दिया। जय कुमार कानू, वरिष्ठ नागरिक राम अवतार कानू के ज्येष्ठ पुत्र थे। घटना की जानकारी के अनुसार रात लगभग 8:30 बजे, उनके छोटे भाई प्रेम ने उन्हें भोजन के लिए पुकारा। जब कोई उत्तर नहीं मिला और कमरे का दरवाजा अंदर से बंद पाया गया, तो घरवालों ने दरवाजा तोड़कर देखा कि जय ने दुपट्टे का फंदा बनाकर पंखे से लटककर जान दे दी थी। परिजन तुरंत उन्हें शिलचर मेडिकल कॉलेज लेकर गए, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।जय कानू अपने पीछे माता-पिता, पत्नी स्मृति, बेटे रोहित, बेटी रोशनी, छोटे भाई-बहन और रिश्तेदारों का बड़ा परिवार छोड़ गए हैं। उनके परिवार के अनुसार, जय ने न तो किसी से कोई बात की थी और न ही उनके इस कदम का कोई पूर्व संकेत मिला था। उनके पिता ने बताया कि परिवार में कोई आर्थिक समस्या भी नहीं थी।
जय कुमार कानू शिलकुड़ी के सामाजिक और धार्मिक आयोजनों में हमेशा सक्रिय रहते थे। बरम बाबा मंदिर का आयोजन हो या विश्व हिंदू परिषद के कार्यक्रम, उनकी भागीदारी उल्लेखनीय रही। उनके निधन से समाज ने एक कर्मठ और जुझारू समाजसेवी खो दिया पोस्टमार्टम के बाद जय की अंतिम यात्रा में शिलकुड़ी के निवासियों, रिश्तेदारों और विश्वविद्यालय के कर्मचारियों ने नम आंखों से विदाई दी। बेटी रोशनी और परिजनों का करुण क्रंदन माहौल को और भी भावुक बना गया। प्रेरणा भारती परिवार की ओर से श्रीमती सीमा कुमार और दिलीप कुमार ने परिजनों से मिलकर संवेदनाएं प्रकट कीं।
असम विश्वविद्यालय के कुल सचिव ने परिजनों को भरोसा दिलाया है कि विश्वविद्यालय हरसंभव सहायता प्रदान करेगा। जय कुमार कानू के असमय निधन से शिलकुड़ी और आसपास के लोगों में शोक व्याप्त है। इस दुखद घटना ने एक बार फिर से समाज में मानसिक स्वास्थ्य और संवाद की आवश्यकता पर गंभीर प्रश्न खड़े किए हैं।