गौरव सिंघल, देवबंद। द दून वैली पब्लिक स्कूल मे विभिन्न कार्यशालाओं की श्रृंखला के अन्तर्गत वेल्यु एजुकेशन, स्ट्रेस मैनेजमेंट तथा स्टोरी टेलिंग आदि विषयों पर कार्यशालाओं का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरूआत स्कूल की परम्परा के अनुसार आगन्तुक अतिथियों नम्रता शर्मा, नीलम थपलियाल, रूमा मल्होत्रा व विशाल अरोड़ा के साथ स्कूल की प्रधानाचार्य सीमा शर्मा, ब्रांच हेड तनुज कपिल, क्वालिटी हेड अर्चना शर्मा तथा उप प्रधानाचार्य हरदीप सिंह ने मां सरस्वती जी के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर पुष्पार्चनोपरान्त कार्यक्रम का प्रारम्भ किया। इस अवसर पर आगंतुक अतिथियों का तिलक लगाकर व पुष्पगुच्छ भेंट कर स्वागत किया गया।
प्रथम दिन विंग 02 (कक्षा 3 से 5) के अध्यापकों के लिए आयोजित कार्यशाला शिक्षा में नैतिक मूल्यों के निर्माण तथा संस्कार संस्थापना पर बोलते हुये रिसोर्स पर्सन सीमा शर्मा व नम्रता शर्मा ने विभिन्न विषयों के माध्यम से बच्चों में संस्कार और मूल्यों की निष्पत्ति के लिए बड़े ही आसान और ग्राहृ उदाहरणों का सहारा लिया और उन तथ्यों से अवगत कराया जो सामान्यतः अति महत्वपूर्ण होते हैं किन्तु हम उन्हें नजर अंदाज कर देते हैं, उन्होंने बताया कि शिक्षा का उद्देश्य बच्चों को केवल ज्ञानवान बनाना ही नहीं बल्कि एक संस्कारवान श्रेष्ठ नागरिक बनाना होता है। अगले दिन विंग 03 (कक्षा 6 से 8) के अध्यापकों के लिए आयोजित कार्यशाला में स्ट्रेस मैनेजमेन्ट पर बोलते हुये सीमा शर्मा व श्रीमती नीलम थपलियाल ने अपने अनुभवों के आधार पर विद्यार्थियों पर पड़ने वाले विभिन्न दबावो जैसे सामजिक पारिवारिक व स्कूल के बारे में विस्तार से चर्चा करते हुये उन्हें दूर करने के सरल व मनोरंजक उपायो जैसे मैडिटेशन, खेल, पेंटिंग व संगीत आदि से अवगत कराया ।
कार्यशाला के अंतिम दिन विंग 01 (कक्षा प्ले से 2) के अध्यापकों के लिए आयोजित स्टोरी टेलिंग वर्कशाप में रूमा मल्होत्रा व विशाल अरोड़ा ने शिक्षण को प्रभावी बनाने के लिये विभिन्न विधियों के बारे मे बात की। उन्होंने समझाया कठिन से कठिन विषयों को कहानियों के द्वारा आसानी से समझाया जा सकता हैं। अतः कहानियाँ का हमारी शिक्षण पद्धति में महत्वपूर्ण स्थान है। कार्यक्रम के अंत में, स्कूल की प्रधानाचार्य सीमा शर्मा ने आगंतुकों का आभार व्यक्त करते हुए उन्हें स्मृति चिह्न भेंट किये तथा शिक्षकों से आग्रह किया कि वे अपनी शिक्षण पद्धतियों में और अधिक जागरूकता लाएं और प्रभावी बनाने के लिए निरंतर मार्गदर्शन प्राप्त करें। उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में नई-नई विधियों और तकनीकों का समावेश कर हम छात्रों को बेहतर शिक्षा प्रदान कर सकते हैं।