डॉ. दशरथ मसानिया, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
रोम रोम में देव है, भव को करती पार।
मनो काम पूरे करे,देवी का अवतार।।
कामधेनु जय जय गौ माता।
तुम ही जीवन भाग विधाता।।1
दूध निरोगा जग विख्याता।।
तुम्हरा जस तो सब जग गाता।।2
धेनु सुरभि अरु भद्रा प्यारी।
गाय रोहिणी गौ महतारी।।3
चौदह रत्नों की तुम खाना।
अंग अंग मानव अपनाना।।4
भूप दिलीपा रघुवंश कहाई।
गाय नंदिनी भई पुजाई।।5
अघन्या कह ऋग्वेद बखाना।
गौ अनुपमेय यजुर कहाना।।6
अर्थवेद में महिमा भारी।
संपत्ती घर की थी सारी।।7
नंदी भोले नाथ सवारी।
गौवा बेटा सेवा धारी।।8
ऋषभदेव भी बैल निशाना।
महावीर भी गौ को माना।।9
गोवर्धन पर गौ का चारण।
कृष्ण उठाया गरब गिरावन।।10
वैतरणी से पार उतारे।
गरुड़ पुराणा सदा उचारे।।11
कृष्ण कन्हैया तुम्हे चराते।
दलदाऊ भी साथ निभाते।।12
घासपात से रखती नाता।
गैया सबकी हैं सुखदाता।।13
शाकाहारी सद् व्यवहारी।
ग्वाला सिंगाजी की प्यारी।।14
जनम मरण अरु परण करावे।
गौ का दान सदा सुख पावे।।15
देवनरायण भगत तुम्हारे।
रक्षा करते राणा मारे।।16
तेजाजी भी जग में आये।
गौ माता हित प्राण गंवाये।।17
रतन चतुर्दश मंथन सागर ।
गाय अमर धन जगत उजागर18
नंदा सुरभी सुमन सुशीला।
कामधेनु गौ दूध रसीला।।19
जमदाग्नी के आश्रम आई।
मुनि के सारे काम बनाई।।20
एक बार सहस्रार्जुन आये।
चतुरंगिनि सेना भी लाये।।21
कामधेनू फल भोज कराये।
देख अचंभा वह ललचाये।।22
मांगी गाय मुनी नही दीनी।
तब राजा ने बल से छीनी।।23
सुरभी ऐसी दौड़ लगाई।
सीधी स्वर्ग लोक को धाई।।24
ऐसी महिमा जग ने देखी।
वेद पुराणों में है लेखी।।25
दूध दही घृत गोबर भाई।
मूत्र मिला पंचगव्य बनाई।।26
गैया कपिला नंदिनी भाई।
भौमा कामधेनु की नाई।।27
गोबर से तो खाद बनाते।
भूमी उपजे कीट नसाते।।28
उपला से हम भोज बनाते।
समय आन पे चिता जलाते।।29
दूध दही घृत शक्कर भाई।
शहद मिला पंचामृत आई।।30
गाये भूसा चारा खाती।
खल कपास्या दूध बढ़ाती।।31
नौ महिने में बच्चा जनती।
दूध दही से आनंद करती।।32
बछड़ा खेती करे जुताई।
बैलगाड़ी को देय चलाई।।33
आज समय ने पलटी खाया।
राखें भैसें गाय भगाया।।34
मुरगी पालें बकरी पालें।
गौ माता खाने के लाले।।35
चरनोई को खेत बनाते।
फाड़े मेड़े गाय भगाते ।।36
गौ अभ्यारण्य आगर भाई।
भोजन पानी सब सुख पाई।।37
संवत इक्यासी है भारी।
ग्राम सालरी कथा सुचारी।।38
नंद गुपाला कहें पुकारी।
कीजे सेवा गौ महतारी।।39
पहली रोटी गाय खिलायें।
ता पीछे हम भोजन पायें।।40
गौ की हम सेवा करें,चारा पानी दान।
जीवन हि गौ दान करें, कहत हैं कवि मसान।।
प्राचार्य हाईस्कूल बापचा बडोद (आगर) मालवा, मध्यप्रदेश