छात्रों की सफलता में नियमित स्कूली शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिकाः डॉ. सुशील गुप्ता

शि.वा.ब्यूरो, आगरा। नेशनल इंडिपेंडेंट स्कूल्स अलायंस (नीसा) उपाध्यक्ष डॉ. सुशील गुप्ता ने बताया कि हाल ही में एक प्रमुख राष्ट्रीय समाचार पत्र में एक छात्र की जेईई (मेन्स) परीक्षा में सफलता पर प्रकाश डाला गया, जिसमें उसकी उपलब्धि का श्रेय एक गैर-अटेंडिंग (डमी) स्कूल में नामांकन को दिया गया, जबकि छात्र की उपलब्धि सराहनीय है। उन्होंने बताया कि इस संदर्भ में बोर्ड ने दो सदस्य समिति द्वारा स्कूल का औचक निरीक्षण कराया और पाया कि स्कूल गैर-हाजिर छात्रों को प्रायोजित कर रहा था तथा साथ ही बोर्ड के मानदंडों का कई अन्य उल्लंघन भी कर रहा था। डॉ. सुशील गुप्ता ने बताया कि औचक निरीक्षण में यह भी पाया गया कि जिस संस्थान में छात्र ने दाखिला लिया था, उसका नाम एसजीएन पब्लिक स्कूल नांगलोई, दिल्ली-110041 है और जिसे पिछले साल बोर्ड ने मान्यता से वंचित कर दिया था।

इस पर बोर्ड द्वारा कहा गया कि ऐसे कृत्यों से स्कूल की शैक्षणिक प्रथाओं की वैधता पर चिंता पैदा होती है और छात्रों को राष्ट्रीय शैक्षिक मानकों का पालन करने वाले मान्यता प्राप्त संस्थानों के माध्यम से अपनी शिक्षा जारी रखने की आवश्यकता पर जोर दिया जाता है। डॉ. सुशील गुप्ता ने बताया कि इसके अलावा नियमित स्कूली शिक्षा के बेहतर विकल्प के रूप में गैर-विद्यालयी स्कूलों का चित्रण राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के दृष्टिकोण के अनुरूप नहीं है। नीति एक समग्र, सर्वांगीण शिक्षा की वकालत करती है जो महत्वपूर्ण सोच, वैचारिक समझ और वास्तविक दुनिया की समस्या-समाधान-तत्वों को बढ़ावा देती है, परंतु जब छात्र परीक्षोन्मुख कोचिंग के लिए नियमित स्कूली शिक्षा को छोड़कर अक्सर समझौता कर लेते हैं।

डॉ. सुशील गुप्ता ने कहा कि नियमित स्कूल एक संरचित शिक्षण वातावरण प्रदान करते हैं, जो न केवल अकादमिक उत्कृष्टता, बल्कि आवश्यक जीवन कौशल, सामाजिक संपर्क और भावनात्मक कल्याण को भी पोषित करता है। जबकि कोचिंग संस्थान सीखने को पूरक बना सकते हैं, वे एक पूर्ण विकसित स्कूल प्रणाली द्वारा प्रदान किए जाने वाले व्यापक शैक्षिक अनुभव की जगह नहीं ले सकते।

डॉ. सुशील गुप्ता ने बताया कि बोर्ड द्वारा यह स्पष्ट किया गया है कि प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और समग्र विकास की कीमत पर नहीं मिलनी चाहिए। यह महत्वपूर्ण है कि छात्र, अभिभावक और शिक्षक ऐसे संस्थानों को प्राथमिकता दें, जो राष्ट्रीय शिक्षा मानकों के अनुरूप हों और सीखने के वास्तविक सार को बनाए रखें। इस संदर्भ में अप्साध्यक्ष व नीसा उपाध्यक्ष डॉ. सुशील गुप्ता ने सीबीएसई के प्रयासों की अत्यंत सराहना करते हुए कहा कि किसी भी छात्र के सर्वांगीण विकास में एक विद्यालय महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और इस बात को नकारा नहीं जा सकता।

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