वर्ल्ड कैंसर दिवस पर श्रीराम कॉलेज में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित

शि.वा.ब्यूरो, मुजफ्फरनगर। श्रीराम कॉलेज के बायो साइंस विभाग तथा राष्ट्रीय सेवा योजना के संयुक्त तत्वाधान में कैंसर को रोकने हेतु वैक्सीनेशन की भूमिका नामक विषय पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया।कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य अतिथि UNICEF जिला कोऑर्डिनेटर तरन्नुम तथा विशिष्ट अतिथि UNICEF ब्लॉक कोऑर्डिनेटर संदीप पुंडीर एवं डा0 अशोक कुमार निदेशक, श्रीराम कॉलेज, डा0 गिरेन्द्र गौतम, निदेशक श्रीराम कॉलेज ऑफ फार्मेसी तथा डीन एकेडमिक डा0 विनित कुमार शर्मा द्वारा सम्मिलित रुप से दीप प्रज्जवलन करके किया गया।

मुख्य अतिथि तरन्नुम ने कहा कि चिकित्सीय कैंसर टीके, शरीर को अपनी ही क्षतिग्रस्त या कैंसर कोशिकाएं से रक्षा करने के लिए प्रशिक्षित करते हैं। उन्होंने कहा कि सभी टीके आपके प्रतिरक्षा तंत्र को प्रशिक्षित करके आपके शरीर को विदेशी आक्रमणकारियों या असामान्य कोशिकाओं से बचाने का काम करते हैं, जो खतरा पैदा करते हैं उन्होंने कहा कि कैंसर के टीके दो मुख्य प्रकार के होते हैं निवारक कैंसर टीके तथा चिकित्सीय कैंसर टीके। ये टीके प्रतिरक्षा तंत्र को कैंसर कोशिकाओं को पहचानने और नष्ट करने में सक्षम बनाते हैं। 
उन्होंने कहा कि चिकित्सीय कैंसर के टीके में विशिष्ट एंटीजन होते हैं जिन्हें एडजुवेंट नामक एक अन्य प्रतिरक्षा तंत्र ट्रिगर के साथ मिलाया जाता है। ज्यादातर लोग निवारक टीकों से परिचित हैं, जो ज्यादा पारंपरिक वैक्सीन प्रकार है। वे बैक्टीरिया और वायरस जैसे विदेशी आक्रमणकारियों से बचाव करने की आपके शरीर की  प्राकृतिक क्षमता को बढ़ाते हैं। जाने-माने उदाहरणों में फ्लू शॉट और खसरा के टीके शामिल हैं।
विशिष्ट अतिथि संदीप पुंडीर ने कहा कि डॉ कैंसर को रोकने के बजाय उसके होने के बाद उसका इलाज करने के लिए चिकित्सीय कैंसर टीकों का उपयोग करते हैं। उन्होंने कहा कि चिकित्सीय टीके आपके शरीर को कैंसर कोशिकाओं सहित अपनी स्वयं की क्षतिग्रस्त या असामान्य कोशिकाओं से खुद को बचाने के लिए प्रशिक्षित करके काम करते हैं। उन्होंने कहा कि चिकित्सीय कैंसर के टीके आपके प्रतिरक्षा तंत्र को एंटीजन नामक अणुओं के संपर्क में लाते हैं, जो एक विशिष्ट प्रकार के कैंसर से जुड़े होते हैं।
डा0 अशोक कुमार ने कहा कि कैंसर कोशिकाएं ऐसे अणु बनाती हैं जो प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को दबा देते हैं। भले ही कोई वैक्सीन प्रतिरक्षा कोशिकाओं को सक्रिय कर दे, लेकिन हो सकता है कि वे प्रतिरक्षा कोशिकाएं ट्यूमर क्षेत्र में प्रवेश न कर पाएं, और अगर वे प्रवेश भी कर जाती हैं, तो उन्हें तुरंत बंद कर दिया जा सकता है। 
डा0 गिरेन्द्र गौतम निदेशक श्रीराम कॉलेज ऑफ फार्मेसी ने कहा कि कैंसर-विशिष्ट एंटीजन को खोजना मुश्किल हो सकता है। अगर एंटीजन सामान्य और असामान्य दोनों कोशिकाओं पर मौजूद है, तो वैक्सीन सामान्य कोशिकाओं पर भी हमला करेगी। इससे अवांछित दुष्प्रभाव होते हैं। उन्होंने कहा कि ट्यूमर बहुत बड़ा हो सकता है। बड़े ट्यूमर में अधिक प्रतिरक्षा-दमनकारी कोशिकाएँ होती हैं, जो उन पर हमला करने के लिए सक्रिय प्रतिरक्षा कोशिकाओं की शक्ति को नकार सकती हैं। इस वजह से, टीकों को अन्य उपचारों के साथ जोड़ा जा सकता है।
इसके पश्चात डीन एकेडमिक डा0 विनित कुमार शर्मा ने कहा कि कुछ लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है। बुजुर्ग लोग और कई अन्य लोग खास तौर पर कैंसर से पीड़ित लोग वैक्सीन के प्रति अच्छी प्रतिक्रिया नहीं दे पाते। अगर प्रतिरक्षा कोशिकाओं को वैक्सीन का संकेत भी मिल जाता है, तो भी वे पर्याप्त मजबूत हमला नहीं कर पातीं।
कार्यक्रम में बायोसाइंस विभागाध्यक्ष डा0 विपिन कुमार सैनी तथा कृषि विज्ञान विभागध्यक्ष डा0 मौ0 नईम तथा प्रवक्तागण बायो साइंस प्रवक्ता विकास त्यागी, अंकित कुमार, आशु, दिशा शर्मा, शबा राणा ,जेहरा हुसैनी, शालिनी मिश्रा, सचिन कुमार, मौ0 सलमान, आयुषी पाल, तनु त्यागी, अनुप्रिया, दिव्या पाटियाल सुबोध कुमार तथा पिंकू कुमार आदि का योगदान रहा।

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