मदन सुमित्रा सिंघल, शिलचर। गणगौर का इंतजार महिलाएं पूरे साल करती है और 16 दिनों तक ईशर गणगौर की पूजा, बंदोरे और सिंधारे होते है। यह पर्व अखंड सौभाग्य का प्रतीक है, जिसमे हर उम्र की महिला अपने अखंड सौभाग्य के लिए पूजा अर्चना करती है। ईशर गणगौर को शिव पार्वती का रूप ही माना गया है। विप्र महिला मण्डल द्वारा गणगौर बंदोरा आयोजित किया गया। गणगौर को लेकर विशेष सजावट की गई। महा कुम्भ की थीम और फूलों का डेकोरेशन किया गया। महिलाओं ने ईसर-गणगौर के मंगल गीत भी गाए एवं नृत्य भी किया, जिसमे 16 दिन पूजने वाली गौरनियो को सम्मानित किया गया।
मारवाड़ी समाज से 25 सखियों को सम्मानित किया। साथ ही मारवाड़ी सम्मेलन से रेखा चौरडिया जैन जैन परिवार से सरोज बरडिया अग्रवाल परिवार से सीता देवी जालान माहेश्वरी परिवार से सुमन तापड़िया को अपने विशेष अतिथि के रूप में बुलाकर उनका सम्मान किया सम्मान के फल स्वरुप सभी अतिथियों को गणगौर माता की फोटो उपहार स्वरूप दी यह प्रोग्राम बिवा फुड कोर्ट में रखा गया। सभी ने बंदौरे की शुरुवात पारंपरिक गीत गाकर धूमधाम से अपने पारंपरिक त्योहार को मनाया। गणगौर का सिंजारा सबने मिलजुल कर किया। इस बंदौरे में कुंभ की कुछ झलकियां भी दिखाई गई । कुंभ पर एक नाटिका भी प्रतुत कि गई।विप्र महिला समिति की तरफ से सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद हमारे इस हमारे इस बंदौर में आने के लिए हमारा मान रखने के लिए हमारे साथ धूमधाम से सिंजारा बनाने के लिए। विप्र महिला समिति ने परंपरागत राजस्थानी वेशभूषा मे वार्षिक उत्सव धूमधाम से मनाया। सम्मानित माता बहनों ने विप्र महिला समिति की मुक्त कंठ प्रशंसा की। महिलाओं का अद्भुत संगम एवं एक दूसरे के प्रति प्यार स्नेह एवं सम्मान का विशेष रूप से समागम देखा गया।