दो दिवसीय समीक्षा योजना गोष्ठी डिमहासाओ मे आयोजित

मदन सुमित्रा सिंघल, शिलचर। संस्कृत भारती पूर्वोत्तर भारत और संस्कृत भारती दक्षिण असम प्रान्त द्वारा द्विदिवसीय समीक्षा योजना गोष्ठी डिमहासाओ जनपद के डिटकछेरा क्षेत्र में आयोजित किया गया था। संस्कृत भारती के अखिल भारतीय मंत्री डॉ. पी. नंदकुमार, दक्षिण असम प्रांत के प्रांत अध्यक्ष तपोमय भट्टाचार्य, ईशान क्षेत्र संगठन मंत्री मोहन कन्नन, प्रांत मंत्री गौतम चक्रवर्ती, संगठन मंत्री अनिर्वाण शर्मा, प्रांत विद्वत परिषद संयोजक प्रो शांति पोखरेल, प्रचारप्रमुख डॉ गोविंदा शर्मा, शिक्षणप्रमुख कृष्णा सिन्हा, बालकेंद्रप्रमुख निधुभूषण दास और गीताशिक्षणकेंद्रप्रमुख तनुश्री सिन्हा उपस्थित थे। इस अवसर पर हाफलोंग जनपद के समन्वयक गणेश जोशी, मिजोरम के समन्वयक टीकाराम शर्मा, श्रीभूमि जनपद की अध्यक्ष चंचल चक्रवर्ती, दक्षिण कछार जनपद की संपादिका मानसी नाथ, पश्चिम कछार टाउनशिप के संपादक कृष्ण ज्योति देव, रामकृष्णनगर जनपद के सह-समन्वयक श्यामदास सिन्हा, प्रीतम देबनाथ और अन्य उपस्थित थे। उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक प्रणव चौधरी थे। इस कार्यक्रम में पिछले वर्ष आयोजित विभिन्न संस्कृत-संबंधी गतिविधियों पर चर्चा की गई। संस्कृत भारती के विभिन्न आयामों जैसे संभाषण शिविर, बाल केंद्र, सरला केंद्र श्लोकोच्चारण आदि पर विभिन्न चर्चाएं हुईं।

पहले सत्र के अध्यक्षता प्रो शांति पोखरेल में मुख्य वक्ता ईशानक्षेत्र के संघटन मंत्री मोहन कन्नन द्वारा संस्कृत भारती के विभिन्न दायित्त्वों एवं कार्यकर्ताओं के बारे में बात की। दूसरे सत्र में प्रान्त अध्यक्ष तपोमय भट्टाचार्य की अध्यक्षता में मुख्य वक्ता अखिल भारतीय मंत्री डॉ पी नंदकुमार ने संस्कृत भारती दक्षिण असम प्रांत के सभी जनपदों से कृत कार्यों का विवरण लिया तथा पिछले वर्ष के कार्यों की समीक्षा की। तीसरे सत्र में प्रो शांति पोखरेल की अधक्षता में वक्ता मोहन कन्नन ने संस्कृत भारती के विभिन्न कार्यों, कार्यप्रणाली एवं पद्धतियों पर चर्चा की। चौथे सत्र के अध्यक्ष तपोमय भट्टाचार्य थे तथा वक्ता डॉ पी नंदकुमार ने संस्कृत भारती के उद्देश्यों और संगठन के बारे में बताया। पांचवें सत्र में वार्षिक कार्य योजना, साप्ताहिकमिलन विषयक अभ्यास आदि विषयों पर चर्चा की गई ।
दूसरे दिन के प्रथम सत्र की अध्यक्षता तपोमय भट्टाचार्य ने की तथा सत्र संचालक के रूप में डॉ.पी नंदकुमार ने बैठक में संस्कृत भारती के कुछ नये दायित्वों की घोषणा की। इस वर्ष संस्कृत भारती त्रिपुरा क्षेत्र के अलग हो जाने के कारण दायित्वों में कुछ परिवर्तन किया गया। प्रान्त के नये दायित्व में डॉ गोविंद शर्मा को प्रचार प्रमुख के अतिरिक्त पत्राचार द्वारा संस्कृत शिक्षण प्रमुख, निद्दुभूषण दास को बाल केंद्र प्रमुख, तनुश्री सिन्हा को गीताशिक्षण केंद्र प्रमुख की घोषणा करते हुए नंदकुमारजी ने कहा, "हमारा लक्ष्य संस्कृत का अध्ययन और अध्यापन, साप्ताहिक बैठकें आयोजित करना और हर घर को संस्कृत घर बनाना होना चाहिए।"
सातवें सत्र में असम विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के डॉ गोविंद शर्मा की अध्यक्षता में प्रो शांति पोखरेल ने अपने उद्बोधन में विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से संस्कृत भाषा के विकास में आ रही  समस्याओं और समाधानों को प्रस्तुत किया।
समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में स्थानीय व्यवसायी देबू मालाकार, मोहन कन्ननजी, प्रो शांति पोखरेल और तपोमय भट्टाचार्य उपस्थित थे। निधुभूषण दास संचालक थे। गौतम चक्रवर्ती ने उपस्थित लोगों का धन्यवाद किया। समारोह का समापन शांति मंत्र के पाठ के साथ हुआ। इस गोष्ठी में कछार, श्रीभूमि, दीमा हसाओ, मिजोरम, रामकृष्णनगर आदि स्थानों से लगभग 40 कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।

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