मदन सुमित्रा सिंघल, शिलचर। विशेष प्रतिनिधि शिलचर 29 मार्च: टी एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया बराक वैली शाखा के 50वें एजीएम को संबोधित करते हुए असम सरकार के कैबिनेट मंत्री और मुख्य अतिथि कौशिक राय ने स्वीकार किया कि आज चाय उद्योग 25-30 साल पहले की स्थिति में नहीं है और इसके कई कारण है, जिन पर चर्चा इस समय संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि असम सरकार आज इस प्रयास में है कि चाय उद्योग और श्रमिक दोनों की उन्नति हो। मंत्री श्री कौशिक राय ने बताया कि भाजपा सरकार ने चाय श्रमिकों की मजदूरी 115 रुपया से बढ़कर 228 रुपया की है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने पिछले 26 मार्च को 215 चाय बागानों को इंसेंटिव दिया, अब तक 415 चाय बागानों को इंसेंटिव दिया जा चुका है, इस साल 98 करोड़ रूपया दिया गया। मुख्यमंत्री ने हर बागान को इंसेंटिव मिले ऐसी योजना बनाने का निर्देश दिया है।
उन्होंने बताया कि पहले चाय बागान में विद्यालयों का खर्च कंपनी को देना पड़ता था हमारी सरकार ने चाय बागान के 650 विद्यालयों का प्रदेशिकीकरण किया। जल जीवन मिशन के माध्यम से पानी की व्यवस्था की। 800 बागान में से 700 चाय बागानों को एक-एक करोड़ रूपया रास्ते के लिए दिया गया। चाय बागानों का रास्ता सरकार बना रही है। उन्होंने कहा कि चाय बागान क्षेत्र में आफ सीजन में मनरेगा जॉब कार्ड के माध्यम से बहुत कुछ काम कराया जा सकता है। इसके लिए आप लोग प्रस्ताव दीजिए सरकार के पास रुपए की कमी नहीं है। उन्होंने कहा कि असम में चाय के 200 साल पूर्ण होने पर झूमर का विश्व स्तरीय नृत्य कार्यक्रम कराया गया। जिसमें प्रधानमंत्री सहित 41 देश के प्रतिनिधि उपस्थित थे। इससे पूरी दुनिया में असम के चाय की मर्यादा बढ़ी है। इसी वर्ष असम के 680000 हजार चाय श्रमिकों को सरकार सम्मान स्वरूप ₹5000 देने जा रही है।
आसन ग्रहण और अतिथियों के सम्मान के पश्चात एसोसिएशन के चेयरमैन सुशील कुमार सिंह ने अपने विस्तृत स्वागत वक्तव्य में चाय उद्योग के समक्ष चल रही समस्याओं और उनके समाधान के ऊपर चर्चा की। उपस्थित अतिथियों, सदस्यों और आगंतुकों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि यह बताते हुए खुशी हो रही है कि चाय उत्पादकता को बढ़ावा देने, स्थायी उत्पादन प्रथाओं को प्रोत्साहित करने, चाय श्रमिकों के कल्याण को सुनिश्चित करने, उद्योग-अकादमिक सहयोग को बढ़ावा देने और ज्ञान विनिमय को मजबूत करने के साझा उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए, टीएआई-बीवीबी (Tea Association of India, Barak Valley Branch) और असम विश्वविद्यालय (AU) एक सहयोग ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर होने जा रहा है।
इस सहयोग का मुख्य उद्देश्य बराक घाटी में चाय उद्योग की वृद्धि, स्थिरता और कल्याण को सुनिश्चित करना है। दोनों पक्ष इस बात को स्वीकार करते हैं कि चाय उद्योग के विभिन्न अवसरों और चुनौतियों का समाधान करने के लिए अकादमिक विशेषज्ञता और औद्योगिक प्रथाओं का समावेश आवश्यक है।
संगठन के राष्ट्रीय महासचिव पीके भट्टाचार्य ने अपने वक्तव्य में कहा कि हम दुनिया के दूसरे सबसे बड़े चाय उत्पादक है, तीसरे स्थान पर श्रीलंका है। उन्होंने उद्योग की कई बड़ी समस्याओं का जिक्र किया। समारोह के सम्मानित अतिथि मेजर जनरल बी के नांबियार नया असम सरकार के मुख्यमंत्री डॉ हेमंत विश्व शर्मा और उनके कैबिनेट की प्रशंसा करते हुए कहा कि असम की तेजी से उन्नति हो रही हैं।
इंडियन टी एसोसिएशन के अध्यक्ष ईश्वर भाई उबाडिया ने सुरमा वैली शाखा, इंडियन टी एसोसिएशन की ओर से शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि बराक वैली में औद्योगिक भागीदारी के प्रति हमारी प्रतिबद्धता अटल है। हमारा समन्वय संगठन सीसीपीए, बराक वैली शाखा, दोनों संघों के समर्थन से, उद्योग की एकजुट पहचान बनाए रखने में सफल रहा है। चाय बागान में 8 लाख लोग रहते हैं, उसमें से 10% ही बागन में कार्यरत है। काम के लिए जो सही समय होता है, 18 से 30 साल का, इस उम्र के लोग काम में है ही नहीं। जो है भी उनमें अनुपस्थित बड़ी संख्या में हैं। उत्पादन घटने का एक बड़ा कारण यह भी है। उन्होंने कहा कि अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे सहमत हूँ कि चाय बागानों में कर्मचारियों की अनुपस्थिति की बढ़ती दर और खाद्यान्न आपूर्ति पर हो रहा अधिक खर्च वर्तमान संकट के गंभीर मुद्दे हैं।
सभा का संचालन संगठन के सचिव शरदिंदु भट्टाचार्य ने किया। अतिथियों का स्वागत वाइस चेयरमैन एस एस पुंडीर ने किया। सभा में उपस्थित प्रमुख व्यक्तियों में चाय उद्योग के प्रतिष्ठित व्यक्तित्व कमलेश सिंह, उद्योगपति और समाज सेवी महावीर जैन, बाबुल होड़, समाजसेवी अवधेश कुमार सिंह, उत्तर प्रदेश से आए जैविक खाद उत्पादक श्री नारायण सिंह, असम विश्वविद्यालय के कुल सचिव पीके नाथ, प्रोफेसर पीयूष पांडेय, कोलकाता से आए संयुक्त सचिव गीतपम हजारिका, ब्रिगेडियर दीपेंद्र सिंह थापा, इंडियन टी एसोसिएशन सुरमा वैली के सचिव संजय बागची आदि शामिल थे।