मदन सुमित्रा सिंघल, शिलचर। रूखेपन, खुरदरेपन से मुक्ति पाने और प्रकृति के नये रूप से सजने-संवरने का यह समय मानव जीवन में कई मायनों में बहुत महत्वपूर्ण है और सभी को मतभेद भुलाकर एकता के सूत्र में बंधना चाहिए। यह बात शुक्रवार को सिलचर प्रेस क्लब में बसंत उत्सव समारोह में सामने आई। रंगों के इस त्योहार में नृत्य-संगीत-कविता-भाषण में वसंत का संदेश सुनाई देता है। चर्चा का विषय था 'जहां मौसम बदलते हैं, वहीं जीवन की लय'। इस अवसर पर कवि-पत्रकार अतिन दास, प्रेस क्लब के महासचिव शंकर डे, सामाजिक कार्यकर्ता संजीत देबनाथ, पत्रकार चयन भट्टाचार्य, शिक्षक शंकर चंद्र नाथ, सामाजिक कार्यकर्ता सौमित्र दत्ताराय, कवि शतादल आचार्य, कवि आरती दास, कवि जयंती दत्ता, संध्या चक्रवर्ती, पत्रकार अभिजीत भट्टाचार्य और अन्य ने बात की। समारोह की अध्यक्षता उपाध्यक्ष विकास चक्रवर्ती ने की।
इस अवसर पर बापी रॉय, नेहल कुमार, बुद्ध पुरकायस्थ, स्वर्णाली पुरकायस्थ, मालविका देव, अनामिका पाल और अन्य ने संगीत प्रस्तुत किया। पत्रकार सिद्धार्थ दास, कवयित्री शैली देव आदि ने कविताएं पढ़ीं। मालविका डांस एकेडमी के कलाकारों द्वारा नृत्य प्रस्तुत किया गया।