प्राचीन सिद्धपीठ देवी मंदिर के वार्षिकोत्सव मेले में उमडा श्रृद्धालुओं का सैलाब

शि.वा.ब्यूरो, मुजफ्फरनगर। काली नदी घाट स्थित अति प्राचीन सिद्धपीठ देवी मंदिर के वार्षिकोत्सव मेले के अवसर पर हजारों श्रृद्धालुओं का सैलाब उमड पडा। सवेरे से ही भक्तजनों की भारी भीड मंा शाकुम्भरी, मांबाला सुन्दरी की संयुक्त पीठ के सम्मुख  नतमस्तक होती रही। मंदिर के मुख्य सेवक पंडित संजय कुमार गुरूजी ने बताया कि यूॅ तो सिद्धपीठ पर वर्षभर  में बारह महीनों श्रृद्धालुओं के आने-जाने का क्रम लगा रहता है। प्रत्येक माह की अष्टमी, नवमी, और चतुर्दशी के अलावा नवरात्रों में यहाॅ पूजा अनुष्ठान का विशेषक्रम जारी रहता है। शहर ही नही, ग्रामीण क्षेत्रों से भी श्रृद्धालु यहाॅ अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए दर्शन हेतु आते रहते हैं।

मंदिर समिति की और से सेवक पंडित महेश कुमार, पं.शैंकी मिश्रा, पं.संजय कुमार आदि पूरे वर्ष की भांति इस वर्ष भी मेले पर भी पूजा पाठ एवं व्यवस्था बनाने में लग रहें। वार्षिकोत्सव के मौके पर श्रृद्धालु स्त्री-पुरूष एवं बच्चे सभी हलवा-पूरी, छत्र नारियल, के साथ माता के श्रृंगार का सामान लेकर सिद्धपीठ पर अपनी अपनी मन्नतें मंागने  के लिए पहंुचे। भक्तों को वार्षिक चमत्कारिक भभूत का भी वितरण किया किया गया,जिसके प्रयोग से एवं माता की कृपा से तुरंत परिणाम मिलता है। मंदिर समिति ने भवन पर आने वाले सभी श्रृद्धालुओं का हृदय से स्वागत कर, व्यवस्था में अपना सहयोग देने की अपील की। देर रात्रि तक मंदिर प्रंागण में श्रृद्धालुओं  के आगमन का तांता लगा रहा।
किवदंतियो के अनुसार जब इस शहर में महामारी फैली थी, तब भक्तों की पुकार पर माता ने स्वयं प्रकट होकर, साक्षात दर्शन देकर महामारी को समाप्त किया था। माता ने स्वयं कहा था कि होली के बाद वर्ष में एक बार जो भी श्रद्धालु  यहाॅ मेरे दरबार में आकर हाजिरी लगाकर प्रशाद चढायेगा, मन्नतें मांगेगा उसकी भक्ति भावना के अनुरूप उस पर माता की कृपा अवश्य होगी। तभी से सिद्धपीठ के वार्षिकोत्सव ने मेले का रूप धारण कर लिया था और कालान्तर में यह काली नदी घाट के मेले के रूप में मशहूर हो गया। इस दिन प्रत्येक वर्ष लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं। इस वर्ष मंदिर के वार्षिकोत्सव मेले में व्यवस्था व आयोजन मे पं.रमन शर्मा, पं.कृष्ण दत्त, पं.विशू शर्मा, सोनू पंडित, सन्तू पंडित, बाॅबी शर्मा, श्रीपाल आदि का भी उल्लेखनीय योगदान रहा। 

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