द दून वैली पब्लिक स्कूल में अध्यापकों के लिए सक्सेस विदाउट स्ट्रेस कार्यशाला आयोजित

गौरव सिंघल, देवबंद। द दून वैली में आज सक्सेस विदाउट स्ट्रेस कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसका उद्देश्य अध्यापकों को यह समझाना था कि तनाव के बिना भी सफलता प्राप्त की जा सकती है। कार्यशाला का आरंभ विद्यालय की परंपरा के अनुसार स्कूल की प्रधानाचार्या श्रीमती सीमा शर्मा, मुख्य अतिथि ओंकार चन्द्र शर्मा, पारूल दीदी, आयुषी दीदी,अरविन्द जी, सचिन भाई तथा क्वालिटी हेड श्रीमती अर्चना शर्मा  और उप-प्रधानाचार्या श्रीमती तनुज कपिल द्वारा दीप प्रज्जवलन और पुष्पार्चन से किया गया। इसके बाद सभी अतिथियों का स्वागत तिलक लगाकर और पुष्पगुच्छ भेंट कर किया गया। प्रो. ओंकार चंद शर्मा, ब्रह्माकुमारीज संगठन के अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय, माउंट आबू, राजस्थान में एक इंजीनियर, संपादक, राजयोगी और प्रेरक वक्ता हैं। वे 1993 से इस प्रतिष्ठित संगठन से जुड़े हुए हैं और ब्रह्माकुमारीज की अंग्रेजी मासिक पत्रिका द वर्ल्ड रिन्यूवल के संपादक हैं।

उन्होंने अपने संबोधन में बताया कि वर्तमान समय में तनाव एक सामान्य समस्या बन चुकी है, जो हर उम्र और पेशे के लोगों को प्रभावित करती है। खासकर शिक्षकों के लिए यह समस्या और भी जटिल हो सकती है, क्योंकि उन्हें न केवल छात्रों को शिक्षित करना होता है, बल्कि उन्हें खुद भी मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रहना होता है। इस अवसर पर मुख्य वक्ता ने यह भी कहा कि तनाव से मुक्ति के लिए सकारात्मक सोच, समय प्रबंधन और अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने यह भी बताया कि योग और ध्यान जैसी प्राचीन विधियां तनाव को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, और इन्हें अपनी दिनचर्या में शामिल करना चाहिए साथ ही साथ उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सफलता बिना तनाव के प्राप्त की जा सकती है, बशर्ते कि हम अपने दृष्टिकोण को सकारात्मक बनाएं और अपने जीवन में छोटे-छोटे बदलाव करें। उन्होंने उदाहरणों के माध्यम से समझाया कि कैसे समय का सही प्रबंधन, शारीरिक स्वास्थ्य का ध्यान और मानसिक विश्राम से हम अपने काम में बेहतर परिणाम प्राप्त कर सकते हैं। कार्यक्रम के अंत में स्कूल की प्रधानाचार्या श्रीमती सीमा शर्मा ने आगंतुकों का आभार व्यक्त करते हुए उन्हें स्मृति चिह्न भेंट किये तथा शिक्षकों से आग्रह किया कि वे अपनी शिक्षण पद्धतियों में और अधिक जागरूकता लाएं और प्रभावी बनाने के लिए निरंतर मार्गदर्शन प्राप्त करें। उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में नई-नई विधियों और तकनीकों का समावेश कर हम छात्रों को बेहतर शिक्षा प्रदान कर सकते हैं।


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