तृतीय भव्य श्री खाटू श्याम संकीर्तन महोत्सव ताराचन्द शिवालय परिसर में आज 8 बजे से हरि इच्छा तक

हवलेश कुमार पटेल, खतौली। नगर की पावन धरती पर जय श्री श्याम परिवार  समिति के तत्वाधान में आज तृतीय भव्य श्री खाटू श्याम संकीर्तन महोत्सव स्थानीय जीटी रोड़ स्थित प्राचीन ताराचन्द के शिवालय पर आयोजित होने जा रहा है। कार्यक्रम आज सायं 8 बजे से आरम्भ होकर हरि इच्छा तक चलेगा। श्री खाटू श्याम संकीर्तन महोत्सव में भजन गायक गुरूग्राम से शुभम ठाकरान, कानपुर से रूचि किंकर, अयोध्या नगरी से बैंकू सिस्टर, देहरादून से मयूर गुप्ता व दिल्ली से संजू राज अपनी गायकी का जलवा बिखेरेंगे। इस अवसर पर डमरू के साथ शिव तांडव कार्यक्रम का विशेष आकर्षण होगा। कार्यक्रम का संचालन यमुनानगर से पधारे अनिल अनुरागी करेंगे। 

आयोजक मण्डल के चन्द्रकांत मिश्रा, शिवकांत मिश्रा, रजनीश मिश्रा, सुनील मिश्रा, जगदीश स्वामी, पुल्कित स्वामी, राजीव भार्गव, गोपाल भार्गव, राजेन्द्र विश्वकर्मा, प्रवीण विश्वकर्मा, रानू भाई, पूरन भाई, विपुल गोयल, प्रभात गुप्ता, भूदेव चैधरी, सुन्दर लाल विश्वकर्मा, नरेश विश्वकर्मा, सोनू विश्वकर्मा, हरीश विश्वकर्मा, मोहित विश्वकर्मा, सुरेश धीमान, प्रदीप धीमान, प्रदीप धीमान, शोभाराम विश्वकर्मा, अंकित मिश्रा, अभिषेक मिश्रा, अर्जन मिश्रा, ओम भार्गव, शुभम आत्रे, नितिन अग्रवाल, यशपाल ठाकुर, पप्पू विश्वकर्मा, डाॅ.राजकुमार, डाॅ.राजेन्द्र, डाॅ.रविन्द्र कुमार व सुधीर धारीवाल आदि ने नगरवासियों से श्री खाटू श्याम संकीर्तन महोत्सव मंे सम्मिलित होकर धर्मलाभ उठाने की अपील की है।

बता दें कि श्री खाटू श्याम को बर्बरीक के नाम से भी जाना जाता है। श्री खाटू श्याम  कलयुग में भगवान कृष्ण के अवतार माने जाते हैं। वे महाभारत के युद्ध के दौरान पांडवों की ओर से लड़ने वाले महान योद्धा घटोत्कच के पुत्र थे। खाटू श्याम को हारे का सहारा और शीश के दानी के नाम से भी जाना जाता है।

किवदंती के अनुसार खाटू श्याम जी ने द्वापरयुग में श्री कृष्ण से वरदान प्राप्त किया था कि वे कलयुग में उनके नाम श्याम से पूजे जाएँगे। बर्बरीक का शीश वर्तमान में राजस्थान राज्य के सीकर में दफनाया गया था, इसलिए उन्हें खाटू श्याम बाबा कहा जाता है। कथा के अनुसार एक गाय उस स्थान पर आकर रोज अपने स्तनों से दुग्ध की धारा स्वतः ही बहा रही थी। बाद में खुदाई के बाद वह शीश प्रकट हुआ, जिसे कुछ दिनों के लिए एक ब्राह्मण को सूपुर्द कर दिया गया। एक बार खाटू नगर के राजा को स्वप्न में मन्दिर निर्माण के लिए और वह शीश मन्दिर में सुशोभित करने के लिए प्रेरित किया गया। तदन्तर उस स्थान पर मन्दिर का निर्माण किया गया और कार्तिक माह की एकादशी को शीश मन्दिर में सुशोभित किया गया, जिसे बाबा श्याम के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। मूल मंदिर 1027 ई. में रूपसिंह चैहान और उनकी पत्नी नर्मदा कँवर द्वारा बनाया गया था। मारवाड़ के शासक ठाकुर के दीवान अभय सिंह ने ठाकुर के निर्देश पर 1720 ई. में मंदिर का जीर्णोद्धार कराया गया था।

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