डाँ. राजीव डोगरा, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
ईमान को बेचकर कभी
ईमानदार नहीं बना जाता।
दर्द देकर कभी किसी का
हमदर्द नहीं बना जाता।
इंसान को तोड़कर कभी
इंसानियत का दावेदार
नही बना जाता।
बीच राहों में छोड़कर
हमसफर को कभी
हमराही नहीं बना जाता।
कल-कल कर कभी
पल-पल का जीवंत जीवन
नहीं जिया जाता।
देकर औरों को दुख कभी
खुद के चेहरे पर
खुशियों का झूठा मुखौटा
नहीं पहना जाता।
युवा कवि व लेखक गांव जनयानकड़ (कांगड़ा) हिमाचल