चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग ने वर्ष 2025-26 के लिए एक विस्तृत कार्ययोजना तैयार की है, जिसमें चीनी मिलों की रिकवरी दर को 9.56 प्रतिशत से बढ़ाकर 10.50 प्रतिशत तक ले जाना शामिल है। इसके अलावा, 91.54 लाख क्विंटल भण्डारित चीनी की समय पर बिक्री सुनिश्चित की जाएगी, ताकि औसत हानियों को नियंत्रित किया जा सके। भण्डारण क्षमता में 4 लाख क्विंटल की वृद्धि करने और कुशल कर्मचारियों को 15 मई 2025 तक आउटसोर्सिंग के माध्यम से नियुक्त करने की भी योगी सरकार की योजना है। साथ ही, सरकार से मिलने वाली सहायता (वर्तमान में लगभग 1200 करोड़ रुपये) को कम करने का प्रयास किया जाएगा, जिससे उद्योग आत्मनिर्भर बने।
बता दें कि योगी सरकार के प्रयासों से गन्ना किसानों की जिंदगी में सकारात्मक बदलाव आया है, जो पहले विपक्षी सरकारों के शासनकाल में खस्ता हालत में थी। सरकार ने 65 लाख पंजीकृत और 46.5 लाख आपूर्तिकर्ता गन्ना किसानों को सीधा लाभ पहुंचाया है। मार्च 2025 तक सरकार ने 2.80 लाख करोड़ रुपये से अधिक का गन्ना मूल्य भुगतान किया है, जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है। वर्ष 2016-17 की तुलना में गन्ना क्षेत्रफल में 43 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि उत्पादकता में 16 प्रतिशत और उत्पादन में 68 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। इसके अलावा, 52 चीनी मिलों का आधुनिकीकरण किया गया है और करीब 8 हजार किलो लीटर प्रति दिन की क्षमता के साथ एथनॉल उत्पादन को बढ़ावा दिया गया है, जिससे गन्ना उद्योग को नई दिशा मिली है।
सीएम योगी के नेतृत्व में गन्ना और चीनी उद्योग को सशक्त बनाने के लिए किए जा रहे प्रयासों की व्यापक सराहना हो रही है। उनके विजन और कुशल प्रशासन ने न केवल गन्ना किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत किया है, बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। गन्ना उद्योग को बढ़ावा देकर योगी सरकार ने यह साबित कर दिया है कि किसानों की समृद्धि ही राज्य के समग्र विकास की नींव है।