जीवन क्रीड़ा

डाँ. राजीव डोगरा, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। 

सोच न बंदे गंदगी
 तु कर ले ईश्वर की बंदगी।

यही तो जीवन की मर्यादा है 
तु खुद का ही भाग्य विधाता है।

अजर अमरता को रहने दें
जीवन को विभिन्न सुर में बहने दें।

जीवन में जो भी आता है 
उसको उल्लास से आने दें।

जीवन से जो भी जाता है
उसको भी मुस्कुराते हुए जाने दें।

मस्ती को अपनी हस्ती में रहने दें
जीवन को सस्ती बस्ती में बहने दें।
युवा कवि व लेखक गांव जनयानकड़ (कांगड़ा) हिमाचल

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